Monday, November 30, 2015

Thursday, June 11, 2015

सांसो में ज़िंदगी

Rajnish BaBa Mehta 
कुछ कहानी, कुछ निशानी 
ऐसा लगता है खामोश जिंदगानी।।
उलझा है वक्त लम्हों में 
ठहरी है सांसे हवाओं में ।।

                     क़ातिब 
               रजनीश बाबा मेहता 

संभालो ज़िदंगी

ज़िंदगी खुद से सिखाती है
राहों तले खुद को चलाती है l
वक्त ही तो है जो थामे है
सपनों की उस डोर को l
वरना रेत सी वो दिखती है
फिसलने का डर भी खूब है l

                             

                         
कातिब 
Rajnish BaBa Mehta

Tuesday, May 12, 2015

हर रोज सीखाती है बंबई



बंद कमरे, बंद दरवाजों में 
फिर से खुद को रखूंगा ।।

बंबई का रास्ता तो दिखा दिया 
लेकिन जिंदगी का सच तुरंत बतला दिया ।।

सही कहता था मंटो
सही कहता था मंटो ।।

आज खुद से सीखा हूं
आज खुद से खुद को बुना हूं,
ना चल खुद के साथ
ना चल खुदा के साथ।।
चलना है तो फिर
चल जमाने के साथ।

          
अब ना हैरान होउंगा 
अब ना परेशान होउंगा ।।
बस खुद से खुद को सींच के 
जिंदगी में हर मकाम पाउंगा।।
                                  क़ातिब
                             रजनीश बाबा मेहता